समकालीन कथा यात्रा - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह Journey Of Contemporary Hindi Story By Dr (Miss) SHARAD SINGH
मंगलवार, मई 22, 2012
गुरुवार, मई 17, 2012
शुक्रवार, मई 11, 2012
‘लमही’ में प्रकाशित मेरी कहानी ‘सोचा तो होता’
‘उसे अपनी वो बात याद आ गई जो उसने कभी अपनी मां सुखबाई को ताना मारते हुए कही
थी।
"अच्छा !! हमारे पीछे तो कोई
नहीं आता है, तुम्हारे
पीछे फुग्गन क्यों पड़ा था....?' बेटी आरती ने अपनी सच्चरित्रता तो स्थापित करते हुए सुखबाई पर कीचड़ उछाल दिया था ।
अब यही बात क्या अपनी बेटी मुन्नी से कह सकती है ?’ .........(मेरी कहानी ‘सोचा तो होता’ से)http://issuu.com/lamahipatrika/docs/lamahi_april_june_ank
- ‘लमही’ में प्रकाशित मेरी कहानी ‘सोचा तो होता’ को इस लिंक पर पत्रिका के पृष्ठ 40 पर सुगमता से पढ़ा जा सकता है.
गुरुवार, मई 03, 2012
मंगलवार, मई 01, 2012
लघुकथा - शुक्र है कि टौमी बच गया
शुक्र है कि टौमी बच गया ....(लघुकथा)
- सुनील कुमार
चमचमाती कार बंगले के अन्दर तेज़ गति से घुसी और अचानक ही ड्राइवर ने ब्रेक लगा कर कार रोक दी क्योंकि कार के आगे साहेब का विदेशी कुत्ता टौमी आ गया था ।
ड्राइवर ने किसी तरह टौमी को बचा दिया । मगर इस हादसे में घर में काम करने वाली आया का चार साल के बच्चे को चोट आ गयी ।
साहेब ने जल्दी से कार से उतर कर आये और आया को सौ रुपये दिए और कहा जाओ इसकी मलहम पट्टी करवा लो ।
थोड़ी देर बाद घर कें अंदर सबके चेहरे खिले हुए थे और जुवान पर एक बात थी ।
भगवान का शुक्र है कि टौमी बच गया ......
(साभार प्रस्तुति- डॉ. शरद सिंह)
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