📌 फोटो में मैं डॉ शरद सिंह और मेरी मां डॉ विद्यावती "मालविका"
मेरी सुखद स्मृति
मेरी मां डॉक्टर विद्यावती "मालविका" बहुत जिज्ञासु थीं। वे हमेशा कुछ न कुछ नया जानने के लिए उत्सुक रहती थीं। वे रोज़ सुबह बहुत ध्यान से अख़बार पढ़तीं थीं। ...आज अख़बार में मुझे एक मॉल का विज्ञापन देखकर याद आया कि एक दिन शहर में स्थित विशाल मॉल का विज्ञापन अख़बार में देखकर मां ने उसके संबंध में जिज्ञासा प्रकट की। उन्होंने मॉल दिखाने को नहीं कहा किंतु मैं और वर्षा दीदी समझ गईं कि वे मॉल देखना चाहती हैं। मॉल की व्यवस्था के बारे में जानना चाहती हैं। उस समय उनकी आयु 90 वर्ष हो चली थी फिर भी वे बहुत सक्रिय रहती थीं। हम दोनों बहनों ने उन्हें विशाल मॉल ले जाने का निर्णय लिया और हम उन्हें वहां ले गए। वह कुछ सीढ़ियां भी हैं इसलिए वहां के कर्मचारियों ने तत्काल मदद की और मां को मॉल के अंदर ले गए। उन्हें भी खुशी हो रही थी कि एक इतनी वृद्ध महिला उनका माल देखने के लिए आई हैं। फिर हम लिफ्ट से उन्हें हर मंज़िल पर ले गए। वे बहुत खुश हुईं। मॉल की व्यवस्था उनके लिए नई थी। इससे पूर्व उन्होंने कोई मॉल नहीं देखा था। वे मॉल पद्धति से बहुत खुश हुई। वे बुज़ुर्ग होकर भी नई व्यवस्थाओं की पक्षधर थीं। उन व्यवस्थाओं की जो लोगों के लिए आरामदायक हो, सुविधाजनक हो। उस दिन वे मॉल देखकर बहुत खुश हुई और हम दोनों बहनें इस बात से प्रसन्न थीं कि उन्हें माल घुमा सके और उनकी जिज्ञासा शांत कर सके। आज यह संतोष भरी स्मृति मेरी अमूल्य संपत्ति है।
मै आपको बहुत प्यार करती हूं मां ❤️
आपको बहुत याद करती हूं 💕
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