- डॉ. शरद सिंह
पांचवा अध्याय
पांचवा अध्याय
नुस्खा नंबर तीन
धांसू साहित्य लेखन का तीसरा अनुभूत नुस्खा है - इतिहास कथा लिखना।
यह और भी मजेदार और बहुत कुछ निरापद लेखन है। इसके लिए आपको बस इतना करना है कि इतिहास में से कोई ऐसा व्यक्ति चुन लीजिए जिसके बारे में सभी लोग जानते हों। फिर उस बहुचर्चित व्यक्ति के बारे में प्रचलित धारणा के विपरीत कुछ ऐसा लिखिए कि साहित्य जगत में क्या, सकल जगत में बवाल मचे बिना न रहे।
वह व्यक्ति तो सदियों पहले कालकवलित हो चुका होगा अतः वह तो आपकी पेशी करवाने से रहा। इसलिए उसकी ओर से तो कोई संकट रहेगा नहीं। रहा सवाल बुद्धिजीवियों का तो वे अपनी बुद्धिबल पर आपको प्रसिद्धि की ऊंचाइयों पर पहुंचा कर ही दम लेंगे।
जी हां, आप तो लिख-लुखा कर एक कोने में चुपचाप बैठ जाएंगे लेकिन बुद्धिजीवियों के अखाड़े में महीनों तक आपके लेखन को ले कर ताल ठोंके जाते रहेंगे। एक पक्ष आपको सच्चा और ईमानदार कहेगा तो दूसरा पक्ष आपको झूठा और चोर कहेगा। आप अपनी पुस्तक के प्रकाशक के साथ बैठ कर बुद्धिजीवियों की इस नूराकुश्ती का जी भर कर आनंद लीजिए और एक धांसू साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हो जाइए।
उपसंहार
अर्थात भगवान आपका भला करे!
मैंने आपको ये जो तीन नुस्खे गिनाए, इन तीनों नुस्खों में से कोई भी एक नुस्खा अपना कर आप स्वयं का जीवन महान बना सकते हैं और एक धांसू साहित्यकार बन सकते हैं।
आप विश्वास कीजिए कि ये तीनों नुस्खे अलग-अलग अनेक साहित्यकारों के द्वारा शतप्रतिशत अनुभूत नुस्खे हैं। इन नुस्खों को अपना कर कई साहित्यकार अपना जीवन धन्य कर चुके हैं। आज साहित्य में उनकी ‘रेटिंग’ ‘टॉप’ पर है और वे उत्तम कोटि के बिकाऊ यानी बेस्ट सेलर साहित्यकार माने जाते हैं।
ऐसे धांसू साहित्यकारों की पुस्तकें प्रकाशकों को भी दरकार होती है। बहुबिकाऊ पुस्तक भला कौन-सा प्रकाशक नहीं चाहेगा? उसे भी तो अपनी रोजी-रोटी चलानी होती है और बाल-बच्चे पालने होते हैं। और, सीधा-सादा, शालीन और शांत किस्म का साहित्य पढ़-पढ़ कर बोर हो चुके पाठक तो इस बात की प्रतीक्षा करते ही करते हैं कि यह धांसू साहित्यकार अपनी अगली पुस्तक में कौन-सा नया धांसू आईटम परोसने वाला है। वे उत्कण्ठापूर्वक उसकी अगली पुस्तक की प्रतीक्षा करते हैं। पुस्तक का कलेवर समझ में आए या न आए लेकिन बहुचर्चित की चर्चा करके स्वयं को बुद्धिमान जताने का अवसर नहीं चूकते हैं। इससे पुस्तक लिखने वाले को ख्याति का एक और बोनस मिल जाता है।
तो फिर देर किस बात की है? धांसू साहित्य लेखन के इन अनुभूत नुस्खों में से किसी को भी अपनाइए और एक धांसू साहित्यकार बन जाइए। भगवान आपका भला करे!
(समाप्त)