शुक्र है कि टौमी बच गया ....(लघुकथा)
- सुनील कुमार
चमचमाती कार बंगले के अन्दर तेज़ गति से घुसी और अचानक ही ड्राइवर ने ब्रेक लगा कर कार रोक दी क्योंकि कार के आगे साहेब का विदेशी कुत्ता टौमी आ गया था ।
ड्राइवर ने किसी तरह टौमी को बचा दिया । मगर इस हादसे में घर में काम करने वाली आया का चार साल के बच्चे को चोट आ गयी ।
साहेब ने जल्दी से कार से उतर कर आये और आया को सौ रुपये दिए और कहा जाओ इसकी मलहम पट्टी करवा लो ।
थोड़ी देर बाद घर कें अंदर सबके चेहरे खिले हुए थे और जुवान पर एक बात थी ।
भगवान का शुक्र है कि टौमी बच गया ......
(साभार प्रस्तुति- डॉ. शरद सिंह)
सार्थक लघुकथा...
जवाब देंहटाएंकिसी के भी जान की कीमत या औकात उसके संरक्षक/मालिक के हैसियत के आधार पर निर्भर करती है
वाकई हिंदुस्तान में आदमी की जान की कीमत कुछ भी नहीं है...पैसेवाले पैसे से सबको खरीदने का माद्दा रखते हैं...
जवाब देंहटाएंपढ़ चुके थे, प्रभावी कथा।
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