गुरुवार, दिसंबर 09, 2021

मेरी सुखद स्मृति | मैं और मेरी मां | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

( Dr Miss Sharad Singh and Mother Dr Vidyawati "Malavika" )
📌 फोटो में मैं डॉ शरद सिंह और मेरी मां डॉ विद्यावती "मालविका" 

मेरी सुखद स्मृति 
मेरी मां डॉक्टर विद्यावती "मालविका" बहुत जिज्ञासु थीं। वे हमेशा कुछ न कुछ नया जानने के लिए उत्सुक रहती थीं। वे रोज़ सुबह बहुत ध्यान से अख़बार पढ़तीं थीं। ...आज अख़बार में मुझे एक मॉल का विज्ञापन देखकर याद आया कि एक दिन शहर में स्थित विशाल मॉल का विज्ञापन अख़बार में देखकर मां ने उसके संबंध में जिज्ञासा प्रकट की। उन्होंने मॉल दिखाने को नहीं कहा किंतु मैं और वर्षा दीदी समझ गईं कि वे मॉल देखना चाहती हैं। मॉल की व्यवस्था के बारे में जानना चाहती हैं। उस समय उनकी आयु 90 वर्ष हो चली थी फिर भी वे बहुत सक्रिय रहती थीं। हम दोनों बहनों ने उन्हें विशाल मॉल ले जाने का निर्णय लिया और हम उन्हें वहां ले गए। वह कुछ सीढ़ियां भी हैं इसलिए वहां के कर्मचारियों ने तत्काल मदद की और मां को मॉल के अंदर ले गए। उन्हें भी खुशी हो रही थी कि एक इतनी वृद्ध महिला उनका माल देखने के लिए आई हैं। फिर हम लिफ्ट से उन्हें हर मंज़िल पर ले गए। वे बहुत खुश हुईं। मॉल की व्यवस्था उनके लिए नई थी। इससे पूर्व उन्होंने कोई मॉल नहीं देखा था। वे मॉल पद्धति से बहुत खुश हुई।  वे बुज़ुर्ग  होकर भी नई व्यवस्थाओं की पक्षधर थीं। उन व्यवस्थाओं की जो लोगों के लिए आरामदायक हो, सुविधाजनक हो। उस दिन वे मॉल देखकर बहुत खुश हुई और हम दोनों बहनें इस बात से प्रसन्न थीं कि उन्हें माल घुमा सके और उनकी जिज्ञासा शांत कर सके। आज यह संतोष भरी स्मृति मेरी अमूल्य संपत्ति है।
मै आपको बहुत प्यार करती हूं मां ❤️
आपको बहुत याद करती हूं 💕

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सोमवार, दिसंबर 06, 2021

एक ज़रूरी कहानी | 3 | यूकेलिप्टस और दूब | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक ज़रूरी कहानी | 3 | यूकेलिप्टस और दूब | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक ज़रूरी कहानी... 3
यूकेलिप्टस ने इतरा कर दूब से कहा, "देखो मैं आसमान छू सकता हूं, पर तुम नहीं। तुम्हारा जीवन बेकार है।"
दूब दुखी हो गई। तभी एक औरत आई उसने दूब का कुछ हिस्सा तोड़ कर अपनी पूजा की थाली में रख लिया। तब दूब ने यूकेलिप्टस से कहा,"मेरा जीवन बेकार नहीं है, पूजा की थाली में मैं रखी जाती हूं, तुम नहीं।" यूकेलिप्टस अपना-सा मुंह लेकर रह गया।
👩छोटा होना अयोग्यता नहीं है। है न!
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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रविवार, दिसंबर 05, 2021

एक ज़रूरी कहानी | 2 | झींगुर और वह | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक ज़रूरी कहानी... 2
झींगुर और वह 
डॉ (सुश्री) शरद सिंह
एक झींगुर घर में शोर कर रहा था जिससे वह आदमी परेशान हो गया। उसने झींगुर को पकड़ कर बाहर फेंक दिया। दूसरे दिन वह बहुत अकेला महसूस कर रहा था। घर में भी सन्नाटा पसरा हुआ था। ऐसे में उसे उस झींगुर की याद आने लगी। मगर उसे तो वह रात को ही बाहर फेंक चुका था। वह उदास हो गया। तभी उसे खिड़की पर झींगुर की आवाज़ सुनाई दी।आवाज़ सुनकर वह इतना ख़ुश हो गया जैसे बरसों पहले बिछड़ा कोई मिल गया हो। उसने खिड़की खोल कर झींगुर को अंदर आने दिया।
👩कमज़ोर और अनुपयोगी लगने वाला भी महत्वपूर्ण होता है, उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। है न!
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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शुक्रवार, दिसंबर 03, 2021

एक ज़रूरी कहानी | 1 | चींटा और पौधा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक ज़रूरी कहानी...1
चींटा और पौधा 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
एक चींटे के पर निकल आए तो वह पौधे का मज़ाक उड़ाने लगा कि  तुम तो कहीं जा भी नहीं सकते हो और मुझे देखो मैं कहीं भी उड़ कर जा सकता हूं। पौधा बेचारा चुपचाप रह गया। तभी बारिश आई तेज़ हवा चलने लगी और देखते- देखते चींटे के पर पानी से भीग कर टूट गए और घायल चींटा भी बह गया जबकि पौधा और हरा भरा दिखाई देने लगा।
👩किसी की स्थिति का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए। है न!
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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