सोमवार, दिसंबर 06, 2021

एक ज़रूरी कहानी | 3 | यूकेलिप्टस और दूब | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक ज़रूरी कहानी | 3 | यूकेलिप्टस और दूब | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक ज़रूरी कहानी... 3
यूकेलिप्टस ने इतरा कर दूब से कहा, "देखो मैं आसमान छू सकता हूं, पर तुम नहीं। तुम्हारा जीवन बेकार है।"
दूब दुखी हो गई। तभी एक औरत आई उसने दूब का कुछ हिस्सा तोड़ कर अपनी पूजा की थाली में रख लिया। तब दूब ने यूकेलिप्टस से कहा,"मेरा जीवन बेकार नहीं है, पूजा की थाली में मैं रखी जाती हूं, तुम नहीं।" यूकेलिप्टस अपना-सा मुंह लेकर रह गया।
👩छोटा होना अयोग्यता नहीं है। है न!
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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