एक ज़रूरी कहानी...1
चींटा और पौधा
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
एक चींटे के पर निकल आए तो वह पौधे का मज़ाक उड़ाने लगा कि तुम तो कहीं जा भी नहीं सकते हो और मुझे देखो मैं कहीं भी उड़ कर जा सकता हूं। पौधा बेचारा चुपचाप रह गया। तभी बारिश आई तेज़ हवा चलने लगी और देखते- देखते चींटे के पर पानी से भीग कर टूट गए और घायल चींटा भी बह गया जबकि पौधा और हरा भरा दिखाई देने लगा।
👩किसी की स्थिति का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए। है न!
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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