मेरी कहानी से - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
From My Story 1 - Dr (Ms) Sharad Singh
"रसूखवालों का बैर और प्यार दोनों बराबर होते हैं, गले मिलो तो चाटेंगे, और झगड़ा करो तो बोटियां काटेंगे ! ऐसे ही चलने दो अभी तो, फिर देखते हैं कि आगे क्या होता है.... तुम सामने नहीं पड़ोगी तो चार दिन में ही किसी और दरवाज़े में झांकने लगेगा वो ।’"
मेरी कहानी "चल चकवा वा देस को, जहां रैन नहिं होय" से - डॅा. (सुश्री) शरद सिंह
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