मेरी कहानी से - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
From My Story 2 - Dr (Ms) Sharad Singh
"उफ! हम इंसान भी कितने खुदगर्ज़ हैं। इंसान की औलाद हो तो मर्दानी चाहिए और गाय-बकरी की औलाद हो तो जनानी। हम सिर्फ अपने फ़ायदे देखते हैं, किसी की ज़िंदगी या वज़ूद नहीं।" ख़ाला की दुरूह बातें सुन कर जया उनका चेहरा ताकती रह गई थी।
मेरी कहानी "वह बुर्केवाली" से - डॅा. (सुश्री) शरद सिंह
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