मंगलवार, फ़रवरी 15, 2022

मेरी यादें - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#मेरीयादें_डॉसुश्रीशरदसिंह
एक ओर मैं (शरद सिंह) और दूसरी ओर प्रख्यात आलोचक परमानंद श्रीवास्तव जी और बीच में कोई सरदार जी नहीं बल्कि सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय काशीनाथ सिंह जी हैं, कहानीकार अमरीक सिंह जी की पगड़ी में। स्थान..लखनऊ स्टेट गेस्टहाऊस का डायनिंग हॉल। सुबह नाश्ते की प्रतीक्षा में । कथाक्रम का आयोजन। सन् 2012 ।
      दोनों ही साहित्यकार जितने वरिष्ठ, उतने ही सहज स्वभाव के। परमानंद जी तो अब हमारे बीच नहीं हैं। जब वे गोरखपुर में अस्पताल में भर्ती थे तो उन्हें देखने जाने का अवसर मिला था। उनका उत्साह देखकर लग नहीं रहा था कि वे अस्पताल में है देर तक भावी योजनाओं पर चर्चा करते रहे। उन्हें नमन 🙏
#यादें  #स्मृतियां   #memories

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-02-2022) को चर्चा मंच      "भँवरा शराबी हो गया"    (चर्चा अंक-4343)      पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

    जवाब देंहटाएं