समकालीन कथा यात्रा - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह Journey Of Contemporary Hindi Story By Dr (Miss) SHARAD SINGH
आह..
हार्दिक धन्यवाद प्रवीण पाण्डेय जी ।
प्रेरक लघुकथा ..? कथनी और करनी में अंतर दिखाती लघुकथा का व्यंग्य स्पहै।
मनोज कुमार जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
पर उपदेश कुशल बहुतेरे...
ईमानदारी ? ...स्लोगन लिखाने ही थे न पालन थोड़े ही करना था ...सोचने पर विवश करती लघुकथा
सुशील बाकलीवाल जी,आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
संगीता स्वरुप जी,बेटू के साथ व्यस्त होने पर भी मेरे ब्लॉग पर आपका आना सुखद लगा ......बेटू को आशीष और आपको हार्दिक धन्यवाद!
आज कल तो हर बातमें यही हो रहा है.
क्या कहा जाय....बहुत सही स्थिति का अंकन किया है आपने...सार्थक लघुकथा...
विजय माथुर जी,आपने सच कहा...हार्दिक धन्यवाद...।
रंजना जी,आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए...हार्दिक धन्यवाद...।
Sach hai ""Par updesh gyan bahutere""ji han mam aaj halat kuch aise hi ho gye hain. kyun ki GURUKUL ab School ban gaye hainAnuj Sharma http://www.anujshrotriya.blogspot.com/
अनुज शर्मा जी,मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...बहुत -बहुत ..शुक्रिया.
सोनू शर्मा जी,मेरे ब्लॉग से अनुसरण करने हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!मेरे लेखों पर आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
सुरेश शर्मा जी ,मेरे ब्लॉग से अनुसरण करने हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!मेरे लेखों पर आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी। सम्वाद बनाए रखें।
शारदा जी , बहुत सुंदर लघु कथा लिखी है आपने , यही फर्क है कहने और करने में .
शिवकुमार ( शिवा)जी,आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए...हार्दिक धन्यवाद...।एक विनम्र ध्यानाकर्षण...मेरा नाम ‘शरद’ है, ‘शारदा’ नहीं...
शरद जी,बहुत सुन्दर सटीक वर्णन...
जयन्त चौधरी जी,मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार... एवं हार्दिक धन्यवाद...।
बहुत ही बढ़िया लघुकथा है. बच्चों को सीखाना एयर खुद उसपर अमल करना दो अलग बातें हैं.
जी हाँ.. बिलकुल सठिक मजबूरी..धन्यवाद..!
’हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और’ - प्रैक्टिकल लोगों की कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। एकदम सटीक लिखा हैं आपने।
हमारे देश क़ी इस विषम वैचारिक स्थिति पर कुठाराघात है ये लघु कथा .
सोमेश सक्सेना जी,आपको हार्दिक धन्यवाद!
G.N.SHAW Ji,I feel honored by your comment.
संजय जी,मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद...आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।
आशीष जी,हार्दिक धन्यवाद!मेरी लघुकथा को पसन्द किया आभारी हूं।
हमारे सरकारी तंत्र पर व्यंग्यात्मक प्रहार करती लघुकथा काफी रोचक लगी। साधुवाद।
परशुराम राय जी,मेरी लघुकथा को आपने पसन्द किया आभारी हूं। इसी तरह सम्वाद बनाए रखें। आपका सदा स्वागत है।
सारा सच....,मेरे ब्लॉग का अनुसरण कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
शुभम जैन जी,मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!आपका स्वागत है!आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
ज्ञान बांटने के लिए और लेने के लिए अलग....यही नजारा है!बेहतरीन कटाक्ष!!!
आह..
जवाब देंहटाएंआह..
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद प्रवीण पाण्डेय जी ।
जवाब देंहटाएंप्रेरक लघुकथा ..? कथनी और करनी में अंतर दिखाती लघुकथा का व्यंग्य स्पहै।
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंपर उपदेश कुशल बहुतेरे...
जवाब देंहटाएंईमानदारी ? ...स्लोगन लिखाने ही थे न पालन थोड़े ही करना था ...
जवाब देंहटाएंसोचने पर विवश करती लघुकथा
सुशील बाकलीवाल जी,
जवाब देंहटाएंआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंबेटू के साथ व्यस्त होने पर भी मेरे ब्लॉग पर आपका आना सुखद लगा ......बेटू को आशीष और आपको हार्दिक धन्यवाद!
आज कल तो हर बातमें यही हो रहा है.
जवाब देंहटाएंक्या कहा जाय....
जवाब देंहटाएंबहुत सही स्थिति का अंकन किया है आपने...
सार्थक लघुकथा...
विजय माथुर जी,
जवाब देंहटाएंआपने सच कहा...हार्दिक धन्यवाद...।
रंजना जी,
जवाब देंहटाएंआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए...हार्दिक धन्यवाद...।
Sach hai ""Par updesh gyan bahutere""
जवाब देंहटाएंji han mam aaj halat kuch aise hi ho gye hain. kyun ki GURUKUL ab School ban gaye hain
Anuj Sharma
http://www.anujshrotriya.blogspot.com/
अनुज शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
बहुत -बहुत ..शुक्रिया.
सोनू शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग से अनुसरण करने हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!
मेरे लेखों पर आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
सुरेश शर्मा जी ,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग से अनुसरण करने हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!
मेरे लेखों पर आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
सम्वाद बनाए रखें।
शारदा जी , बहुत सुंदर लघु कथा लिखी है आपने , यही फर्क है कहने और करने में .
जवाब देंहटाएंशिवकुमार ( शिवा)जी,
जवाब देंहटाएंआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए...
हार्दिक धन्यवाद...।
एक विनम्र ध्यानाकर्षण...
मेरा नाम ‘शरद’ है, ‘शारदा’ नहीं...
शरद जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सटीक वर्णन...
जयन्त चौधरी जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
एवं हार्दिक धन्यवाद...।
बहुत ही बढ़िया लघुकथा है. बच्चों को सीखाना एयर खुद उसपर अमल करना दो अलग बातें हैं.
जवाब देंहटाएंजी हाँ.. बिलकुल सठिक मजबूरी..धन्यवाद..!
जवाब देंहटाएं’हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और’ - प्रैक्टिकल लोगों की कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है। एकदम सटीक लिखा हैं आपने।
जवाब देंहटाएंहमारे देश क़ी इस विषम वैचारिक स्थिति पर कुठाराघात है ये लघु कथा .
जवाब देंहटाएंसोमेश सक्सेना जी,
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक धन्यवाद!
G.N.SHAW Ji,
जवाब देंहटाएंI feel honored by your comment.
संजय जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद...
आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।
आशीष जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद!
मेरी लघुकथा को पसन्द किया आभारी हूं।
हमारे सरकारी तंत्र पर व्यंग्यात्मक प्रहार करती लघुकथा काफी रोचक लगी। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंपरशुराम राय जी,
जवाब देंहटाएंमेरी लघुकथा को आपने पसन्द किया आभारी हूं।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपका सदा स्वागत है।
सारा सच....,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का अनुसरण कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
आपका स्वागत है!
आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
शुभम जैन जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
आपका स्वागत है!
आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
ज्ञान बांटने के लिए और लेने के लिए अलग....
जवाब देंहटाएंयही नजारा है!
बेहतरीन कटाक्ष!!!