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शुक्रवार, अगस्त 05, 2022

लघुकथा | नारीशक्ति जिंदाबाद | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | युवाप्रवर्तक


पढ़िए मेरी लघुकथा और बताइए कि क्या सचमुच नारी सशक्तिकरण यही है? 👇🤔

हार्दिक धन्यवाद #युवाप्रवर्तक 🙏
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लघु कथा
नारीशक्ति जिंदाबाद !
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
           गांव के इकलौते चौराहे पर पंडाल लगा हुआ था।  पंडाल के नीचे एक ओर घूंघट वाली महिलाएं बैठी हुई थी और दूसरी ओर पुरुष वर्ग। सजे-संवरे मंच से सरपंचपति भैयाजी महिला सशक्तिकरण पर जोर-शोर से भाषण दे रहे थे।
     सरपंचपति भैयाजी का भाषण समाप्त हुआ तो उनके बाजू में बैठे बीडीओ ने उनसे पूछा,"भाभी जी क्यों नहीं आई?"
     "उनका यहां क्या काम? वे यहां आ जातीं तो वहां घर पर चूल्हा-चौका कौन सम्हालता?" बत्तीसी दिखाते हुए सरपंचपति ने बीडीओ से कहा।
      "मगर सरपंच तो वे हैं।" बीडीओ ने हिम्मत करके कहा।
      " लेकिन पति तो हम हैं।" बेशर्म हंसी हंसते हुए सरपंचपति भैयाजी ने कहा।
      उसी समय कुछ समर्थक नारे लगाने लगे-
"भैया जी जिंदाबाद!"
"नारी शक्ति जिंदाबाद!"
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सागर (म.प्र.)

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1 टिप्पणी:

  1. घर के काम काज में उलझा कर नारी को गृहलक्ष्मी का दर्जा देकर पुरुष अपने आप को सुपीरियर साबित करना चाहता है...खुशहाल घर खुशहाल नारी के बिना सम्भव नहीं है...Nice story...👏👏👏

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