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गुरुवार, सितंबर 26, 2024

मेरी कहानी से - डॉ (सुश्री) शरद सिंह | From My Story 4 - Dr (Ms) Sharad Singh

मेरी कहानी से - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
From My Story 4 - Dr (Ms) Sharad Singh
"हे पुरुरवा ! ... तुम पुरुष स्त्री के अतीत में क्यों जीना चाहते हो? स्त्री के अतीत को लेकर किस बात से भयभीत रहते हो? ... आज जो है उसे उस अतीत पर क्यों वारते हो जो न आज है और न भविष्य में कभी होगा। अतीत कभी न लौटने वाला समय होता है, उसके पीछे भागने से भला क्या लाभ?"
       मेरी कहानी "तुम कहां हो, पुरुरवा?" से - डॅा. (सुश्री) शरद सिंह
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