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शनिवार, दिसंबर 19, 2020

साहित्य की चुनौतियां | Sharad Singh | Sahitya Tak |...


बहुत महत्वपूर्ण चर्चा हुई थी टीवी चैनल "आजतक" के साहित्यिक महाकुंभ में ... 
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4 टिप्‍पणियां:

  1. लेखक, कलाकार, वैज्ञानिक, न्यायाधीश - ये सभी किसी विचारधारा के गुलाम नहीं होते, प्रत्युत इनके विचारों से मानवीयता के दर्शन का अजस्त्र प्रवाह होता है और ये विचारों की आधुनिकता के उत्स होते हैं।

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    1. आपने सही कहा विश्वमोहन जी, वैचारिक स्वतंत्रता मनुष्य के मनुष्यत्व को सजग बनाए रखती है। यह ज़रूरी भी है।
      हार्दिक धन्यवाद टिप्पणी के लिए !!!

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  2. बढ़िया और सार्थक साहित्य चर्चा। आपसे सहमत हैं।

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    1. वीरेन्द्र सिंह जी, हार्दिक धन्यवाद टिप्पणी के लिए !!!
      मैं हमेशा से वैचारिक स्वतंत्रता की हिमायती हूं और मुझे लगता है कि हर साहित्यकार को हिमायती होना चाहिए। निःसंदेह आपकी सहमती इसी बात का प्रतिनिधित्व करती है।

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