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मंगलवार, जून 09, 2020

जिंदा मुहावरों का समय ... डाॅ शरद सिंह के संस्मरण पुस्तक के अंश

मेरे संस्मरणों की पुस्तक ‘‘जिंदा मुहावरों का समय’’ में मैं एक अध्याय मेरे उस दिनों के संस्मरणों का है जब मैं एक सक्रिय पत्रकार थी। उसके कुछ अंश अपनी प्रकाशित रिपोर्टस और तस्वीरों के साथ इस अपने ब्लाॅग में साझा करती रहूंगी ......

अपने कॉलेज जीवन से ही मैंने जर्नलिज्म शुरू कर दिया था। सन् 1980 से 1988 तक बतौर रिपोर्टर विभिन्न समाचार पत्रों के लिए मैंने सक्रियता से काम किया। उन दिनों की चर्चित पत्रिका 'रविवार' और 'आज' समूह के प्रकाशन की पत्रिका 'अवकाश' के लिए भी मैंने रिपोर्टिंग की थी।

आज अपनी एक पुरानी फाइल खोलने पर मेरी कुछ पुरानी रिपोर्टिंग्स मेरी नजरों से गुज़री जिन्हें मैं आपसे क्रमशः साझा करती रहूंगी.....

जिनमें से ये है 'जनसत्ता' में सन् 1985 में प्रकाशित हुई मेरी रिपोर्ट ....
Jansatta, 31 May 1985, NMDC Panna,  Dr Sharad Singh


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