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शनिवार, जून 13, 2020

जिंदा मुहावरों का समय ... डाॅ शरद सिंह के संस्मरण पुस्तक के अंश - 6

मेरा पहला सम्वाददाता पत्र ... 
मित्रो, यह फोटो मैंने अपने कॉलेज ID के लिए पन्ना में जुगलकिशोर जी के मंदिर के पास जड़िया स्टूडियो में खिंचवाई थी। दो चोटी और बेलबॉटम का ज़माना ज़ारी था। उस पर जुनून पत्रकारिता का। 
         दैनिक "कृष्ण क्रांति" पन्ना के पड़ोसी ज़िला छतरपुर से प्रकाशित होता था। डॉ. अजय दोसाज इसके संपादक थे। उन दिनों पत्रकारिता जगत में छतरपुर की पत्रकारिता ने अपनी अलग ही पहचान बना रखी थी। उल्लेखनीय है कि सन् 1979-80  के प्रसिद्ध "छतरपुर कांड" जिसमें पत्रकारों के दमन उत्पीड़न की जुडिशल इंक्वायरी और प्रेस काउंसिल द्वारा जांच की गई थी। पत्रकारों ने इस संघर्ष में जीत हासिल की थी। इसी कांड के बाद छतरपुर के पत्रकार राजेश बादल (जो अब देश के जानेमाने पत्रकार हैं) ने आंचलिक पत्रकार से पूर्णकालिक पत्रकार की पारी शुरू की थी।

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1 टिप्पणी:

  1. आज जागरण मे आपका लेख पढ़ा।बहुत अच्छा लगा।फिर गूगल मे पढ़ा।शा

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