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शुक्रवार, नवंबर 30, 2018

कहानियां यूं ही नहीं बनतीं - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh as a Speaker at National Seminar of Dr Harisingh Gour Central University Sagar M.P. on Tribal Literature held on 03.03. 2017
"कहानियां यूं ही नहीं बनतीं। एक या एक से अधिक व्यक्ति, कोई विशेष घटना और उस घटना से जुड़े नाना प्रकार के विचार परस्पर मिल कर जिस कथावस्तु को गढ़ते हैं, उसी का परिष्कृत, संस्कारित रूप कहानी में ढल कर सामने आता है। कहानी अपना लेखक अथवा वाचक स्वयं चुनती है। लेखक को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि उसने कथानक को चुना है। उसके आस-पास तो ढेरों कथानक होते हैं लेकिन वह तो एक समय पर किसी एक को ही अपना पाता है। यही तो खूबी है कहानी की।" 
- डॉ. शरद सिंह 
(डॉ. हरी सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश में लोककथाओं पर सेमिनार में )

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