सुखद संयोग रहा कि संबोधन का काशीनाथ जी विशेषांक और ज्ञानोदय का गजल महाविशेषांक लगभग साथ साथ ही हस्तगत हुए आपके सम्मान के लिए हार्दिक बधाई उसी में आपकी पुस्तकों के मुखपृष्ठ में एक था 'पिछले पन्ने की औरतें' जो मन में उतर गया | संबोधन में साहित्य नेस्ट का विज्ञापन देख उसे ढूँढना चाहा तो आपके ब्लॉग पर पहुँच गया | समीक्षा पढ़ी , बहुत अच्छा लगा पुस्तक पढ़ने की इच्छा बलवती हो उठी जल्द मंगवाता हूँ | बरहल आपको हार्दिक बधाई |
सुन्दर समीक्षा
जवाब देंहटाएंसुखद संयोग रहा कि संबोधन का काशीनाथ जी विशेषांक और ज्ञानोदय का गजल महाविशेषांक लगभग साथ साथ ही हस्तगत हुए आपके सम्मान के लिए हार्दिक बधाई उसी में आपकी पुस्तकों के मुखपृष्ठ में एक था 'पिछले पन्ने की औरतें' जो मन में उतर गया | संबोधन में साहित्य नेस्ट का विज्ञापन देख उसे ढूँढना चाहा तो आपके ब्लॉग पर पहुँच गया | समीक्षा पढ़ी , बहुत अच्छा लगा पुस्तक पढ़ने की इच्छा बलवती हो उठी जल्द मंगवाता हूँ | बरहल आपको हार्दिक बधाई |
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