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गुरुवार, मई 03, 2012

सोचा तो होता.....

‘लमही’ के अप्रैल-जून 2012 अंक में प्रकाशित मेरी कहानी


- डॉ. शरद सिंह







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6 टिप्‍पणियां:

  1. बधाइयाँ...इस उपलब्धि के लिए...

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    1. इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

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  2. बहुत बधाई, पोस्ट के रूप में भी छाप दें, पढ़ने में सुविधा होगी।

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    1. आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ....
      आपका सुझाव अच्छा है। हार्दिक धन्यवाद !

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  3. पढ़ तो नहीं पाया। पर बधाई तो दे ही सकता हूं। एक पोस्ट तो यहां भी लगा ही सकती हैं।

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  4. शरद जी बहुत बधाई. मनोज जी और प्रवीण जी का सुझाव ठीक ही है यदि संभव हो तो इसे पोस्ट के रूप में भी दीजिए.

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