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बुधवार, मई 20, 2020

प्रगतिशील लेखक संघ सागर की ऑनलाइन गोष्ठी में डॉ शरद सिंह का काव्य पाठ

प्रगतिशील लेखक संघ सागर की रविवार 18.05.2020 को ऑनलाइन सम्पन्न हुई गोष्ठी में मैंने कोरोनाकाल के दुखों से विषयांतर करते हुए अपनी प्रेम कविता पढ़ी जिसकी कुछ पंक्तियां थीं- 
"शब्द खो देते हैं
जब अपनी ध्वनियां
और मुखर हो उठता है अव्यक्त मौन
ठीक वहीं से 
चल पड़ती है अंतर्मन की स्वर-वायु
और गूंज उठता है
प्रेम का अनहद नाद..."
🚩साहित्यिक सरोकारों को प्रमुखता देने के लिए हार्दिक धन्यवाद दैनिक भास्कर 🙏
दिनांक 20.05.2020
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