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मंगलवार, सितंबर 15, 2015

"औरत तीन तस्वीरें" "फेमिना" पत्रिका द्वारा वर्ष 2014-15 की स्त्री विमर्श की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक....

Sharad Singh's Book "Aurat Teen Tasviren" Selected as Best Book of the year 2014-15 in Women Discourse Category by 'Femina' Magazine
मित्रो,
एक अच्छी ख़बर.... "फेमिना" पत्रिका द्वारा मेरी किताब "औरत तीन तस्वीरें" को स्त्री विमर्श श्रेणी में वर्ष 2014-15 की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक चुना गया है..


Sharad Singh's Book "Aurat Teen Tasviren" Selected as Best Book of the year 2014-15 in Women Discourse Category by 'Femina' Magazine

Dear Friends,
A Good News !!!... My Book "Aurat Teen Tasviren" Selected as Best Book of the year 2014-15 in Women Discourse Category by 'Femina' Magazine 

Sharad Singh's Book "Aurat Teen Tasviren" Selected as Best Book of the year 2014-15 in Women Discourse Category by 'Femina' Magazine
Sharad Singh's Book "Aurat Teen Tasviren" Selected as Best Book of the year 2014-15 in Women Discourse Category by 'Femina' Magazine

सोमवार, सितंबर 07, 2015

Book review: ये हैं औरत की तीन तस्‍वीरें... "आज तक" में की गई समीक्षा ...

"आज तक"  में की गई मेरी किताब "औरत: तीन तस्वीरें"  की समीक्षा ...

http://aajtak.intoday.in/story/book-review-aaurat-teen-tasverein-1-779729.html

किताब: औरत: तीन तस्वीरें
लेखिका:
शरद सिंह
प्रकाशक:
सामयिक प्रकाशन
मूल्य:
460 रुपये
आंधी-तूफान के बाद खिलने वाली सुनहरी धूप जैसा चित्रण करती हैं शरद सिंह अपनी पुस्तकों में महिलाओं का. 'औरत : तीन तस्वीरें' पुस्तक विश्व भर में स्त्रियों की स्थिति या सिर्फ उनके संघर्ष पर ही आधारित नहीं है. यह पुस्तक शरद सिंह की सोच को सार्थक करती है कि लड़की ऋग्वेद की पहली ऋचा है.

'इस पुरुष प्रधान समाज में औरत की सुबह केतली में उबलती है, ओवन में पकती है, टोस्टर में सिंकती है. पल दो पल के लिए हांफती, फिर रोटियों की तरह तपती और सब्‍जी के साथ भुनती है. दाल के साथ भाप बनने और लंच बॉक्स में पैक हो जाने पर टाटा बाय बाय के बाद टंगी रह जाती है बाथरूम में छूटे गीले तौलिये की तरह.' - ऐसी तमाम अवधारणाओं का प्रतिकार करती है यह पुस्तक.
इस पुस्तक में कई कहानियों के संग्रह से शरद सिंह ने औरतों की ऐतिहासिक और समकालीन छवियां प्रस्तुत की हैं. तीन तस्वीरों का अर्थ है 3 तरह से औरतों के संघर्ष को समझने की कोशिश. पहले खंड में औरतों ने अपने साहस और योग्यता के दम पर पुरुषों से बराबरी की है. दूसरे खंड में उन औरतों की कहानियां हैं जिनका समर्थ स्वरुप साहित्य और विचारों में गढ़ा गया है और तीसरे खंड में उन औरतों की कहानियां हैं जो प्रताड़ित हैं और अभी भी संघर्ष कर रही हैं.
लेखिका ने जोर दिया है महिलाओं के आत्म-मूल्यांकन पर. समकालीन स्त्री प्रश्‍नों को समझने में शरद सिंह की यह पुस्तक समर्थ है.
क्यों पढ़ें?
-इरोम शर्मीला, गुलसीरीन ओनांक, नवककुल कारमान, फातिमा मुर्तज़ा भुट्टो, जेसिका फोनी, सारा, दारा और सरकोजी जैसी हस्तियों के संघर्ष की कहानियों का अनूठा संग्रह.
- देश, भाषा, जाति, नस्ल आदि का कोई विभाजन नहीं.
- राजनीति में ब्यूटी विद ब्रेन का भी उत्तम उदाहरण.
- 'टैगोर, स्त्री और प्रेम', 'पंडित मदन मोहन मालवीय का स्त्री विमर्श', 'बाबा नागार्जुन की नायिकाएं' आदि संवदेनशील विषय.
- प्रवासी महिला कथाकारों की भी कहानियां
- स्त्री के उत्पीड़न और तमाम कारणों पर विचार
- देवी से लेकर डर्टी पिक्चर तक का सफर
- भरपूर तथ्यात्मकता