शुक्रवार, जून 10, 2011

धांसू साहित्य लेखन के अनुभूत नुस्खे (व्यंग लेख)....पार्ट थ्री

- डॉ. शरद सिंह

चौथा अध्याय

नुस्खा नंबर दो

    धांसू साहित्य लेखन का दूसरा अनुभूत नुस्खा है - पराई कथा लिखना। 

यह भी एक महत्वपूर्ण और कारगर नुस्खा है। इस प्रकार के साहित्य लेखन में आपको चंद ख्यातिनाम लोगों के जीवन में ताक-झांक करनी होगी और उसे मिर्च-मसाले के साथ लिख डालना होगा। इसे आप संस्मरण, वृत्तांत आदि अपनी सुविधानुसार कुछ भी नाम दे सकते हैं। इसमें आप अपनी स्मरण शक्ति की पैनीधार को चमकाते हुए ऐसे किसी भी व्यक्ति की वो लुभावनी और चौंकाने वाली सच्ची-झूठी बातें लिख सकते हैं जिन्हें पढ़ कर पाठक तो अवाक् रह ही जाए, वह व्यक्ति भी हकबका जाए जिसके बारे में आपने लिखा है। 
     अब आपके लिखे को पढ़ कर पहले तो वह व्यक्ति अपने आपको टटोलेगा कि वह आपसे पंगा ले सकता है या नहीं। यदि नहीं ले सकता होगा तो मन मार कर चुप रह जाएगा, किन्तु यदि उसमें आपसे पंगा लेने की दम होगी तो वह आप पर पलटवार करेगा और बस, आपका काम बन जाएगा। आप इस तथ्य को एक फुट उछाल कर बोरी भर ख्याति बटोर सकते हैं। 
       आपको बस, इतना ही करना होगा कि स्वयं को सच्चाई का सगावाला बताते रहिए और पलटवार करने वाले को मिर्ची लगने से तिलमिलाया हुआ कहते रहिए।  वो गाना है न कि ‘तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं....’ बस, इसी स्टाईल में। वो जितना तिलमिलाएगा, तिलमिला कर बयानबाजी करेगा उतनी ही आपको पब्लीसिटी मिलेगी और आप उसके मत्थे सुर्खियों में बने रहेंगे।
    ....इस नुस्खे को अपनाने पर आपकी धांसू साहित्यकार की साख को स्थापित होने से कोई नहीं रोक सकता है। 
                       क्रमशः .......

7 टिप्‍पणियां:

  1. अभुतपूर्व सुझाव सफल लेखक बनने के. सुंदर कटाक्ष भी. बधाई शरद जी इस साफगोई के लिए.

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  2. औरों की जिन्दगी में लिखना सरल है, रोचक है पर बहुत अधिक नहीं चल पाता है।

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  3. मैं तो आजमा कर जरुर देखूंगा।

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  4. यहाँ वैधानिक चेतावनी देनी आवश्यक है...इस घटना का किसी से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है...

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  5. बहुत बढ़िया टिप्स दे रही हैं आप,सच में मजेदार.
    साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  6. आजकल तो यह फ़ॉर्मूला बहुत प्रचलित है।

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  7. फोटू वाले भाई जी को तो ऐसी मिर्ची लगी है कि धुँआ छोड़ दिये....:)

    किसी का जबरदस्त नाम हुआ है लगता है...


    सालिड!!! भगवान आपका भला करे. :)

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